Friday, 24 July 2020

Nazm - by me

अरमां मेरे  हर रोज़ , क्यों जलते हैं दिल में ,

कैसी आग हैं ये , जो कभी बुझ सकती नहीं..

 

हर रोज़ होती हैं , किस्मत से जंग मेरी ,

हार जाता हूं मगर , हार मानता मैं नहीं ..

 

एक अरसा हो गया , चलते - चलते मुझको ,

सोचा कई बार , मगर रुका मैं नहीं ..

 

फिर रुक कर जब देखा , शीशें में ख़ुदको ,

जानता था वो चेहरा , मगर पेहचाना मैं नहीं ..

 

दिल करता हैं उतार दूँनक़ाब मैं बहादुरी का ,

एक मुद्दत हो गईमगर रोया मैं नहीं ...

 

🖋 Kumail Saif


Shayari - by me

बोहोत कीमती हैं तजुर्बे , ये  ज़िन्दगी मे बड़ी सीख दे जाते हैं ,

अज़ीज़ हैं मुझे वो लोग, जो तजुर्बों के तोहफ़े दिया करते हैं

 🖋Kumail Saif

 

उलझन है कि, नादानी भली या हैं समझदारी बेहतर ?

आखें जब खुली, तो कई चहरे अज़ीज़ ना रहे..

  🖋Kumail Saif

 

ये ख़्वाब, ये ख़यालात, ये जज़्बात तेरे,

अक्सर जो दिल--दिमाग़ पर छाए रहते हैं..

क्यों इन्हें अल्फ़ाज़ों में उतार दिया जाए,

क्या पता कुमैल, कोई शायरी निकल आए ..

 🖋Kumail Saif

 

दिन भर कि भाग-दौड़ थका देती है मुझे,

और आखों के ख़्वाब रात को सोने नहीं देते..

 🖋 Kumail Saif

 

ज़रा नींद पूरी कर लुं मैं, कुछ ख्वाब और सजा लुं मैं..

इस सर्द सुबह के दामन से, कुछ रात और चुरा लुं मैं

 

 🖋Kumail Saif

 

 

इस फ़लसफ़े को अपना कर हमने ,

ज़िन्दगी सहल अपनी कर ली।

 

जब सुहाने मौसम आए, तस्वीरें बनाते गए हम ,

जब रंज-ओ-ग़म ने घेरा, शायरी हम ने कर ली।  😀

 🖋Kumail Saif


Poem for my Son - Adil



The words used in this poem are the early words that he learned to speak. The mentions of the activities and plays are actually what is happening in the house -- Apr 2019